1 ekad men kitna dhan nikalta hai , धान की पैदावार कई कारकों पर निर्भर करती है । हलाकि 30 से 40 बोरा प्रति एकड़ धान ?
की उपज हो सकती है । कुछ उन्नत किस्में और बेहतर कृषि पद्धतियों के साथ यह 45 से 50 बोरा प्रति एकड़ भी पहुंच सकती है ।
1 ekad men kitna dhan nikalta hai
धान की किस्म , विभिन्न किस्मों की उपज क्षमता अलग अलग होती है । उन्नत और हाइब्रिड किस्में आमतौर पर अधिक उपज देती है ।
PR 121 , PR 126 , PR114 , पंजाब में इनकी पैदावार 40 से 50 बोरा प्रति एकड़ तक होती है ।
पूसा 2090 इसके प्रति एकड़ 38 से 45 बोरा तक पैदावार मिल सकती है ।
श्रीराम बायोसीड BH – 21 इसकी उपज 40 से 45 बोरा प्रति एकड़ तक हो सकती है ।
त्रिमूर्ती TMRH 5786 इसके 35 से 40 बोरा प्रति एकड़ उपज मिल सकती है
कुछ बासमती किस्में जैसे पूसा बासमती 1509, 1718 की उपज 30 से 35 बोरा प्रति एकड़ के लगभग होती है ।
मिट्टी का प्रकार और उर्वरता
उपजाऊ मिट्टी और सही पोषक तत्वों की उपलब्धता उपज बढ़ाती है । और मिट्टी परीक्षण कराकर आवश्यक पोषक तत्वों की कमी पूरी ?
करना महत्वपूर्ण है । धान की खेती के लिए उचित तापमान , धूप और पानी की आवश्यकता होती है । अत्यधिक बारिश या सूखा पैदावार
को कम कर सकती है ।
जलवायु और मौसम , धान की खेती के लिए उचित तापमान , धूप और पानी की आवश्यकता होती है । धान के लिए सही पानी का प्रबंधन
बहुत महत्वपूर्ण है , फसल की वृद्धि के दौरान पर्याप्त पानी की उपलब्धता होनी चाहिए । उर्वरक और , खाद का उपयोग सही मात्रा में ?
नाइट्रोजन फास्फोरस और मिट्टी की सेहत के लिए लाभकारी होता है ।
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार फसल के पोषक तत्वों और पानी के लिए नुकसान दायक होते है , जिससे उपज काम हो जाती ही । समय , समय पर खरपतवार ,
नियंत्रण बहुत जरुरी है , रोग और कीट फसल को भारी नुकसान पहुँचा सकते है , जिससे पैदावार में गिरावट आती है ।
बुवाई का तरीका , सीधी बिजाई , DSR जैसी तकनीके पानी और लागत बचा सकती है , साथ ही कुछ मामलों में अच्छी उपज भी दे सकती है ।
रोपण का सही समय पौधों की दूरी और अन्य कृषि संबधी कार्य भी उपज को प्रभावित करते है । धान की अच्छी पैदावार बढ़ाने के लिए , उन्नत
किस्मों का चुनाव अपने क्षेत्र और जलवायु के अनुसार अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन करें । 1 ekad men kitna dhan nikalta hai
मिट्टी का परीक्षण , बुवाई से पहले मिट्टी की जाँच कराए और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें । संतुलित उर्वरक का प्रयोग ।
रासायनिक उर्वरकों के साथ साथ जैविक खाद जैसे गोबर की खाद , कम्पोस्ट का भी उपोग करें , फसल के लिए आवश्यक पानी की मात्रा
का ध्यान रखें , और जलभराव या सूखे से बचाए । समय समय पर खरपतवार निकालें और कीटों व रोगों से बचाव के लिए सही ,
उपचार करें ।
धान की पैदावार हर किसान के लिए अलग अलग हो सकती है । क्योंकि स्थानीय कारकों पर निर्भर करती है ।