Makka kheti

मक्का खेती , अपने खेत में करें अच्छी कमाई 

Makka kheti एक महत्वपूर्ण फसल है जो भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती है भारत में लाखों ।

किसान आज परंपरागत खेती से हटकर नकदी फसलों की ओर बढ़ रहे है । और मक्का ( भुट्टा मकई )

उनमे से एक है जो न सिर्फ पोषण से भरपूर हैं , बल्कि कम लागत में ज्यादा मुनाफा देनें वाली फसल

मानी जाती है ।

Makka kheti

Makka kheti  क्यों करें

मक्का की फसल तुलनात्मक रूप से कम समय में तैयार हो जाती है इसकी खेती में उर्वरक और सिंचाई की लागत ,

भी कम होती है अच्छी देख भाल से प्रति हेक्टेयर उच्च पैदावार मिलती है ,

जलवायु और भूमि की तैयारी 

Makka kheti गर्म और नम जलवायु में अच्छा होता है , 21.c से 30.c तापमान उत्तम होता है अच्छे जल निकासी वाली बुलई,

दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है  2 से 3 बार जुताई करें , मक्का की बुवाई से 15, से 20 दिन पहले खेत की जुताई करें

मौसम सूखा हो और मिट्टी में ज्यादा नमी न हो तभी जुताई करें पहली जुताई मिट्टी पलटनें वाले हल से करें ताकि पुरानी

Makka kheti

 

फसल के अवशेष मिट्टी में मिल जाएँ । इससे खरपतवार , जंगली घास , कीड़े मकोड़े और बीमारिया नस्ट होती है ,

जुताई रोटावेटर , या कल्टीवेटर , से करें जुताई के बाद पाटा जरूर चलाएं जिसमें मिट्टी भुरभुरी और समतल ?

हो जाये ।

 

जैविक खाद या , गोवर की खाद मिलाएं , आखिरी जोताई के समय गोवर की सड़ी हुई खाद या कम्पोस्ट ( 20,25 ) टन,

प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिला दें , इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है । मक्का  खेती ।

 

बुवाई का समय 

गर्मी की फसल , फरवरी  से मार्च , बरसात की फसल जून , से जुलाई , रबी की फसल अक्टूबर से नवंबर जहां जलवायु ?

उपयुक्त हो बीज का चुनाव और उपचार , बीज दर 15 से 20 किलो प्रति हेक्टेयर  अच्छे किस्में जैसे की HQPM-1 ,

GANGA-11, BIO 981 आदि बीज का उपचार और बीजों को बुवाई से पहले फफूंदनाशक, Thiram या (Carbendazim)

से उपचारित करें 2.5 ग्राम / किलो बीज , makka kheti ?

 

बुवाई का तरीका , पक्तिं  से पक्तिं की दूरी 60 से 75 सेमी , पौधे से पौधे की दूरी 20 से 25 सेमी गहराई 4 से 5 सेमी , बुवाई की ।

तरीके हाथ से छिड़काव कम सिफारिश लाइन से बुवाई सिफारिश की जाती है , ड्रिल या डिब्लर मशीन से ,

Makka kheti

सिंचाई , पानी कब और कितना दें 

बुवाई के बाद 2 से 3 दिन के अंदर पहली सिंचाई, अंकुर के समय अगर बारिश न हो तो हल्की सिंचाई , फूल निकलने का समय ?

सबसे जरुरत समय होता है , इस समय सिंचाई न हो तो उपज घट जाती है भुट्टा बनने के समय 60 से 65 दिन में दानें भरने के लिए ,

पानी की जरुरत होती है । दानें  पकनें के समय , अंतिम सिंचाई , इसके बाद पानी रोक दे ताकि फसल सूख सके ?

 

देख भाल 

खरपतवार नियंत्रण , बुवाई के 20 से 25 दिन बाद पहली निराई , गुड़ाई करें अगर ज्यादा घास हो तो पेंडीमिथलीन या ऐक्ट्रिजिन जैसे ।

खरपतवार नाशी  का स्तेमाल करें बुवाई के बाद अंकुर से पहले , जरूरत पड़े तो 40 से 45 दिन पर दूसरी निराई करें ,

 

कीट और रोग नियत्रण , तना छेदक मध्य नस कट जाती है , क्लोरोपायरी फ़ांस या फोरेट डालें, पत्ती लपेटक , पत्तिया लिपट जाती है ?

नीम का घोल या ट्राइजोफॉस का छिड़काव , पत्ती झुलसा , भूरे धब्बे बनते है मैंकोजेब या करबोंडा जिम का छिड़काव खेत में समय ।

समय पर घूमकर निरिक्षण करें , कोई बीमारी या कीट दिखे तो तुरंत उपाय करें फसल की बढ़वार धीमी लगे तो शुक्ष्म पोषक तत्व ,

जैसे Zn , fe स्प्रे करें ।

Makka kheti

 

Makka पकनें के लिए आवश्यक उर्वरक 

नाइट्रोजन N , 120 किलो , हरी पत्तिया , बढ़वार और दानों के विकास में सहायक फास्फोरस P, 60 किलो , जड़ों की मजबूती और ?

फसल की शुरूआती बृद्धी पोटाश K, 40 किलो , रोग प्रति रोधक क्षमता और दानों की गुणवत्ता उर्वरक डालने के बाद सिंचाई जरूर ,

करें ताकि खाद जड़ों तक पहुंच सके अगर ड्रिप या स्प्रिकलर सिंचाई है तो तरल उर्वरक ( Fertigation) भी कर सकतें है ।

 

मक्का पंकेने समय 

जब दानें सख्त और पकनें के अवस्था के बाद 10 से 15 दिन बाद पानी देना बंद कर दें इससे पौधे सूखने लगतें है और दानें अच्छी तरह 

पकते है , पकने के समय चिड़ियों , सूअर या अन्य जानवरों से नुकसान हो सकता है इसलिए निगरानी रखें , जरुरत हो तो चिड़िया भगाने

वाले यंत्र या पटाखे, लाल झंडे आदि का प्रयोग करें ।

 

पकने के समय दाना खाने वाले कीट (Grainsborer) और फंगल इन्फ़ेक्सन से नुकसान हो सकता है अगर जरुरत हो तो सुरक्षित कीट

नाशक या फफूंद नाशी (Fungicide) का हल्का स्प्रे करें लेकिन केवल जब फसल पूरी तरह न सूखी हो ,

कटाई के समय , पौधे को पत्तियां पूरी तरह पीली या सूखी है तो फसल तैयार है भुट्टे का खोल और सख्त है तो दानें पक चुकें है ?

दानो को नाख़ून से दबाएं सख्त हो और दूध न निकले  तो कटाई कर सकतें है ।

 

कटाई सुबह या शाम के समय करें जब ओस हो ताकि दानें ज्यादा टूटें नहीं भुट्टे तोड़ने के बाद उन्हें 2 से 3 दिन धूप में सुखाएं फिर दानें

निकालें दानें सुखाकर ही भण्डारण करें , नमी 12% से कम होना चाहिए , सूखे और हवादार स्थान पर रखें , कीट से बचने के लिए नीम

पत्ती या भंडारण की दवा जैसे एल्युमिनियम फॉस्फाइड का उपयोग करें ?

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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