Gajar ki kheti

Gajar ki kheti एक जड़ी वाली सब्जी है , जिसे मुख्य रूप से ठंडी जलवायु

में उगाया जाता है इसमें विटामिन A, बीटा , कैरोटीन फाइवर और एंटी ऑक्सीडेंट्स

प्रमुख्य मात्रा में पाया जाता है भारत में गाजर की खेती खासकर सर्दियों में होती है ।

Gajar ki kheti

गाजर ठंडी जलवायु वाली फसल है , सबसे उपयुक्त तापमान 15c से 25c अधिक गर्मी में जड़े

पतली व कमजोर बनती है

Gajar ki kheti  के लिए खेत की तैयारी 

खेत को 3 से 4 बार गहरी जोताई करें , ताकि मिट्टी नरम और भुरभुरी हो जाये पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल

(MB Plough) से करें बाकी जुताई देशी हल रोटावेटर से करें , मिट्टी को इतना बारीक़ करें की गाजर की जड़ें आसानी से

सीधी बढ़ सकें मिट्टी में कोई ढेला या पत्थर नहीं होना चाहिए ,

 

खाद और उर्वरक का प्रयोग

अंतिम जोताई के समय 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद (Fym) मिलाएं साथ ही 100 किलो डीएपी 50 किलो

म्यूरेट ऑफ पोटाश और 20 किलो यूरिया भी मिट्टी में मिला सकतें है

, खेत को समतल करें और 1.5 से 2 मीटर चौड़ी क्यारिया

बनाये , क्यारियों के बीच में नाली बनाएं ताकि पानी निकासी हो सके , बीज बोने के लिए लाइन या ड्रिल विधि अपनाएं।

गाजर की बुवाई का सही समय

उत्तर भारत में अक्टूबर से दिसंबर के बीच बुवाई करें पहाड़ी क्षेत्रों में फरवरी से अप्रैल के बीच , बीज की मात्रा लगभग 4 से 6 किलो ,

बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है , बीज अच्छे किस्म के और रोग मुक्त होने चाहिए ।

बीज को बोने से पहले , 1 ग्राम थायरम या कार्बोंडा जिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें , इससे बीज जनित रोगों से बचाव होता है ?

Gajar ki kheti

लाइन से बुवाई का सबसे अच्छा तरीका , कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेमी पौधे के बीच की दूरी 5 से 7 सेमी , बीज की गहराई ।

1 से 1.5 सेमी से ज्यादा नहीं , बुवाई हाथ से या सीड ड्रिल , रोपण यंत्र से कर सकतें है ,

बीज बोने के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि अंकुरण अच्छा हो जब पौधे 2 से 3 इंच के हो जाएँ तो अनावश्यक पौधों को निकाल दें ।

बीज को बोते समय मिट्टी में नमी का ध्यान रखें , ज्यादा गहराई पर बीज बोनें से अंकुरण खराव हो सकता है ? Gajar ki kheti ?

गाजर की फसल में सिंचाई 

गाजर के पौधे में नियमित सिंचाई हर 7 दिन में , रेतीली मिट्टी में ज्यादा वार सिंचाई करनी पड़ती है ।

ठंडी जलवायु में सिंचाई का अंतर थोड़ा बढ़ाया जा सकता है , जल भराव से बचे , गाजर की जड़ें ?

पानी में सड़ सकती है , इसलिए खेत में जल निकासी अच्छा होना चाहिए ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छा ,

तरीका है इससे नमी संतुलित बनी रहती है ।

 

गाजर की फसल में खाद डालने का समय 

बुबाई के 20 से 25 दिन के बाद , नाइट्रोजन यूरिया देना चाहिए 40 से 50 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर ।

नाइट्रोजन से पत्तियों की बृद्धी होती है लेकिन ज्यादा देनें से गाजर की जड़ पतली हो सकती है इसलिए ?

संतुलन जरुरी है , अधिक नाइट्रोजन से जड़ें मोटी होने के बजाय बलदार फाइबी हो सकती है ।

 

फसल के बीच में पत्तियां बहुत हरी और बड़ी हो तो नाइट्रोजन काम दें मिट्टी जाँच के अनुसार उवर्रक,

की मात्रा में बदलाव कर सकतें है Gajar ki खेती ।

 

गाजर तैयार होनें का समय 

देशी किस्में लाल गाजर , 90 से 120 दिन , संकर हाइब्रिड किस्में , 80 से 100 दिन गाजर की मोटाई ।

और रंग पूरी तरह विकसित हो जाये , पत्तियां हल्की पीली होनें लगें , गाजर मिट्टी से थोड़ा बाहर दिखने ,

लगें ,  मिट्टी में हाथ डालने पर गाजर आसानी से निकल  जाये ?

Gajar ki kheti

इससे पता लगता है की गाजर पूरी तरह से तैयार हो गई  है , समय से गाजर की खुदाई कर लेनी चाहिए 

और गाजर को साफ कर के सुरक्षित कर लेना चाहिए

 

 

 

 

 

 

 

 

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