Kapas ki kheti

 

Kapas ki kheti एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है , जिससे कपड़ा उद्योग को कच्चा मॉल ,

मिलता है , भारत विश्व में कपास उत्पादन में अग्रणी देशों में से एक है ।

Kapas ki kheti

महाराष्ट्र भारत में कुल कपास उत्पादन का  लगभग 30% से अधिक योगदान देता है , यह विदर्भ ,

मराठवाड़ा और कहेत इलाके कपास की खेती के प्रमुख क्षेत्र है या राज्य बीटी kapas ki kheti में

भी अग्रणी है ।

भारत में सबसे उत्पादन करने वाला राज्य

महाराष्ट्र , सबसे अधिक क्षेत्र फल में कपास की खेती , गुजरात प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक उपज ,

kapas ki खेती , खरीफ , गर्मी के बाद वर्षा ऋतू में बोई जाती है , कुछ क्षेत्रों में वर्ष में दो वॉर भी

बोई जाती है खरीफ , और रबी दोनों  में सिमित मात्रा में ।

कपास की अच्छी उपज के लिए खेत की सही तैयारी बहुत जरुरी होती है , फसल की बुवाई से ,

पहले 1 से 1.5 महीना पहले खेत की गहरी जोताई करें देशी हल या ट्रैक्टर से 1 बार गहरी जोताई ?

करने से मिट्टी भुरभरी होती है और जड़ें अच्छे से फैलती है ,

Kapas ki kheti

खेती की तैयारी

पहली जोताई के बाद खेत को 3 से 4 दिन खुला छोड़ दें ताकि सूरज की गर्मी से कीट और रोगाणु नष्ट ।

हो सके , मिट्टी को समतल और भुरभुरी करने के लिए 2 से 3 वार देशी हल या , कल्टीवेटर से जुताई ?

करें , हर जुताई के बाद पाटा चलाये , अंतिम जोताई से पहले सड़ी हुई गोवर की खाद 10 से 15 टन ,

प्रति हेक्टेयर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें , इससे मिट्टी की उंर्वरता बढ़ती है ।

बीज की बुवाई एक महत्वपूर्ण चरण है जिससे फसल की शुरुआत होती है , यदि बुवाई सही ढग से की जाये ।

तो पौधों की बृद्धि और उत्पादन दोनों बेहतर होतें है । बीज की फफूंद नाशक दवा जैसे थायरम या ?

कार्बेन्डाजिम 2 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें , कीटों से बचाव के लिए नीम की खली या ,

जैविक उपचार , जैसे ट्राइकोडर्मा का भी उपयोग कर सकतें है इससे अंकुरण अच्छा होता है और बीमारियां

नहीं लगती है ,

 

कपास की बीज की बुवाई kapas ki kheti

बीटी कपास 1.5 से 2 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर , देशी कपास 10 से 15 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर ?

बुवाई की दूरी प्रकार  कपास की दूरी 60 से 90 सेमी , कतार से कतार की दूरी 90 से 120 सेमी

देशी कपास 30 से 40 सेमी पौधे की दूरी 60 से 75 सेमी कतार से कतार की दूरी ।

Kapas ki kheti

ज्यादा दूरी पर बोने से पौधों को हवा , धूप और खाद सही मिलती है , बुवाई की गहराई बीज को ?

2.5 से 4 सेमी , 1 से 1.5 इंच गहराई पर बोये ज्यादा गहराई पर बोने से बीज का अनुकरण खराव

होता है , बोने की विधि , नाली या कतार पद्धति सबसे अच्छी विधि ?

 

खेत में लंबी सीधी कतार में बुवाई करें ट्रैक्टर से या हाथ डिबलिंग करके बीज डालें सीड ड्रिल से ,

बुवाई मशीन से समतल , एक समान दूरी और गहराई पर बुवाई हो जाती है , छिड़काव विधि ,

बीज को हाथ से बिखेरना यह सही तरीका कपास के लिए उपयुक्त नहीं होता ।

बुवाई  के बाद सिंचाई

अगर बुवाई के समय  मिट्टी में नमी है , मानसून के दौरान , पहली सिंचाई की जरुरत नहीं होती है ।

अगर मिट्टी में नमी नहीं है , तो बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें , ताकि बीज अच्छी तरह ।

अंकुरित हो सके , अंकुरण के बाद , 15 से 20 दिन पहली सिंचाई , फूल आने के समय बहुत जरुरी है ,

 

, नमी की कमी से फूल झड़ सकते है , बाल बनने के समय 2 से 3 सिचाईयाँ जरुरी , उपज सीधे प्रभावित ।

होती है पकने के समय सिंचाई बंद कर दें , वरना बाल फटने में देरी होगी , अधिक सिंचाई न करें , इससे

जड़ सड़ सकती है और कीट लग सकते है , जैसे जड़ गलन , लाल सुंडी , पानी रुकना नहीं चाइये , खेत

में जल निकासी का प्रबंधन होना जरुरी है , हर बार हल्की सिंचाई करें भारी सिंचाई से मिट्टी सख्त हो

जाती है ।

Kapas ki kheti

कपास की फसल तैयार होने के बाद

जब कपास के बाल गोलों पूरी तरह से पक जाएँ और फट जाएं तो उन्हें तोडना चाहिए , सुबह की ओस ।

हटने के बाद तोड़ाई करना बेहतर होता है , गीली अवस्था में तुड़ाई न करें क्योंकि इससे फसल की

गुणवत्ता खराव होती है , तोड़े गए कपास साफ करके , खराव , या सड़े गले बाल को अलग करें ।

 

उच्च गुणवत्ता वाले कपास को अलग से संग्रहित करें , कपास को अच्छी तरह से सुखाएँ ताकि उसमें ,

नमी न रहे , नमी के  कारण भण्डारण के दौरान फफूंदी लग सकती है , इसे छाँव में या साफ तिरपाल पर

फैला कर सुखाएं ।

 

 

 

 

 

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