Laung ki kheti एक सुगंधित मसाला है , जो सीजीगियम एरोमैटिकम नामक वृक्ष के सूखे फूल ,
की कली होती है इसका उपयोग औषधीय पाक शास्त्र और घरेलू उपचारों में होती है लौंग की
खेती मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में होती है ।
लौंग की खेती का लाभ और उपयोग
लौंग की मांग घरेलू और अन्तराष्ट्री बाजारों में हमेशा बनी रहती है , मसालों में यह एक मंहगा
उत्पादन है जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है
लौंग का उपयोग आयुर्वेदिक , युनानी और घरेलु चिकित्सा में किया जाता है , इससे दांत दर्द ,
पाचन समस्याँए और सर्दी जुकाम जैसे रोगों में राहत मिलती है भारत में laung ki kheti
बहुत सीमित इलाको में होती है जैसे , केरल , तमिलनाडु , कर्नाटक के कुछ हिस्सों में
इसलिए इसकी अपूर्ति कम होती है और कीमतें अच्छी मिलती है ।
laung ki kheti का आय स्त्रोत
लौंग का पौधा एक बार लगाने पर कई वर्षो तक उपज देता है , जिससे बार , बार बोनी की
जरुरत नहीं होती है और लंबे समय तक आय मिलती है
laung ki kheti का समय , लौंग की रोपाई के लिए मानसून का समय , जुलाई से अगस्त सबसे
उपयुक्त होता है इस समय मिट्टी में नमी होती है , जैसे पौधों के जमने में मदद करती है बीज बोने
का समय जनवरी से फरवरी में बोए जातें है बीजों से पौधा तैयार होने में लगभग 6 से 8 महीना
लगते है इसके बाद मानसून में उन्हें खेत में रोपा जाता है ?
laung ki kheti में सिंचाई
लौंग की खेती में सिंचाई का बहुत अहम रोल होता है खासकर शुरुआती वर्षों में जब पौधे विकसित
हो रहे होतें है , सही समय पर सही मात्रा में पानी देना जरुरी है ताकि पौधा स्वस्थ रहे और अच्छी उपज
दें , लौंग की खेती में 3 से 4 साल तक नियमित सिंचाई जरुरी होती है हर 7 से 10 दिन में एक बार
सिंचाई करें खासकर गर्मियों में बरसात के मौसम में सिंचाई की जरुरत कम होती है पानी भराव से बचें ?
सिंचाई का तरीका , ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे उपयुक्त मानी जाती है क्योकि इससे नमी नियंत्रित
रहती है और पौधों को धीरे धीरे पानी मिलता है लौंग के पौधे पानी के जमाव को बिलकुल सहन
नहीं करते खेत में पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए ठंड के मौसम में नमी लंबे समय तक
बनी रहती है इसलिए सिंचाई 15 से 20 दिन में एक बार कर सकते है ,गर्मी में विशेष ध्यान दें
तेज गर्मी में मिट्टी जल्दी सूखती है ऐसे में सप्ताह में एक बार सिंचाई करें
लौंग के पौधे में फूल लगनें का समय
लौंग का पौधा धीरे धीरे बढ़ता है और इसे फसल देने में कुछ साल लगते है फूल आने का समय
फूल लगने की शुरुआत , पौधा लगानें के 5 से 7 साल बाद पूर्ण उत्पादन 15 से 20 साल की उम्र में
पौधे की आयु 50 से 70 साल तक फल दे सकता है ।
फूल आने का मौसम फरवरी से अप्रैल के बीच फूल लगते है , फूल आने के पहले जो कली निकलती है
वही बाद में सूखकर लौंग के रूप में उपयोग होती है फूल पूरी तरह न खुलने से पहले ही तोड़ लेना
चाइए , तभी वह अच्छी गुणवत्ता की लौंग बनती है ?
पौधा जितना स्वस्थ और पोषक मिट्टी में होगा उतना जल्दी और अच्छा उत्पादन देगा , सिंचाई पोषण और ।
रोग नियंत्रण का सही ध्यान जरुरी है ताकि पौधा समय से फूल दे ।
लौंग फूल कली तोड़ाई का तरीका
लोग की फसल में सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है , फूल की कली की सही समय और सही तरीके तोड़ाई
क्योंकि यही कली सूखकर बाजार में लौंग के रूप में बेचीं जाती है , कब तोड़े , जब कली हल्की गुलाबी
रंग की हो जाए और फूल खुलने से ठीक पहले की अवस्था में हो , अगर कली पूरी तरह फूल बन जाए तो
वह बाजार योग्य नहीं रहती है यह समय आमतौर पर फरवरी से अप्रैल के बीच होता है ।
कैसे तोड़े , हाथ से धीरे धीरे कली को तोड़े ताकि डंठल के साथ पूरी कली निकले , बाहर ज्यादा खींचने
या झटके से तोड़ने से शाखा को नुकसान हो सकता है । तोड़ने के बाद , तोड़ी गई कलियों को साफ जगह
पर छाया में 4 से 50 दिन तक सुखाएं सीधी धूप से लौंग का रंग काला पड़ सकता है और तेल गुण कम हो
सकता है पूरी तरह सूखने के बाद लौंग को एयर टाईट कन्टेनरो में रखे
नमी से बचाकर रखें ताकि फफूंदी न लगें ।