Tamatar ki kheti टमाटर की खेती

Tamatar ki kheti भारत में सबसे अधिक मध्यप्रदेश में होती है यह राज्य 2021-22 में,

2,970,000, मीट्रिक टन टमाटर का उत्पादन करके देश में 14.63% हिस्से दारी रखता है ?

मध्यप्रदेश में टमाटर की खेती मुख्यतः शिवपुरी , झाबुआ और साजापुर जिलों में होती है ।

Tamatar ki kheti

tamatar ki kheti  की तैयारी 

टमाटर की फसल की खेती के लिए भूमि की तैयारी महत्वपूर्ण है यह प्रक्रिया पौधों की स्वस्थ ,

वृद्धि जल निकासी पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता सुनिश्चित करती है यहां टमाटर की खेती 

के लिए भूमि की तैयारी करने के तरीके ।

 

भूमि की जोताई टमाटर की खेती के लिए महत्वपूर्ण है , इसका उद्देश्य मिट्टी को ढीला , समतल

और पोषक तत्तों से भरपूर बनाना होता है , पहली जोताई के बाद खेत को 7 से 10 दिन तक खुला

छोड़ दे , मिट्टी में छिपे हुए कीटों खरपतवारों को नष्ट करती है और जैविक संतुलन बनाता है ।

दूसरी और तीसरी जोताई 2 से 3 बार हल्की जोताई करें ।

 

हर जोताई के बाद पाटा चलायें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाये और सतह समतल बने , अंतिम 

जोताई के समय 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं साथ

ही नीम की खली या जैविक उर्वरक भी मिलाए जा  सकते है जैसे  जैसे ट्राइकोड्रर्मा 

या पेसिलोमीसेज़ ।

 

tamatar ki kheti बीज का रोपण    

बीज की बुवाई महत्वपूर्ण चरण है इससे बीजों को नर्सरी में बोया जाता है फिर जब पौधे 25 से ?

30 दिन के हो जाते है तब उन्हें मुख्य रूप से खेत में रोपा जाता है , बीज चयन , हाइब्रिड , पूसा 

अर्का रक्षक , अभिनव अदि , बीज का उपचार , रोगों से बचने के लिए बीजों को 3 ग्राम थायरम।

या कैप्टन प्रति किलो बीज से उपचारित करें , जैविक विकल्प , ट्राइकोडर्मा या बाविस्टिन का 

उपयोग करें ।

Tamatar ki kheti

बीज बोनी , बीजों को 0.5 सेमी गहराई पर लाइन से बोएं , लाइन में 6 से 8 सेमी की दूरी रखे , बीजों 

को हल्की मिट्टी से ढक दे , छाँव के लिए हल्का घास या सूती कपड़ा  रखे ।

 

टमाटर की फसल में सिंचाई 

पानी की सही मात्रा और समय पर आपूर्ति से पौधों की वृद्धि , फलन और गुणवत्ता पर सीधा असर ,

पड़ता है पहली सिंचाई , पौधा रोपाई के 3 दिन के बाद पहली हल्की सिंचाई करें सिंचाई धीरे धीरे 

करे ताकि पौधों की जड़े हिले नहीं , ड्रिप सिंचाई जल की  बचत होती है पौधों को सीधे जड़ो पर पानी ?

मिलता है रोग कम फैलते है क्योकि पत्ते गीले नहीं होते , फर्टिगेशन , खाद मिलाकर सिंचाई करना आसान 

Tamatar ki kheti

नाली विधि , खेत में 60 से 75 सेमी चौड़ाई नालिया बनाये , सिंचाई नालियों में कर पौधों की जड़ो तक

पानी पहुँचता है , रोपण के बाद 15 दिन हर 5 से 7 दिन में हल्की सिंचाई , फूल आने पर 4 से 5 दिन में 

एक बार , फल बढ़ने पर 2 से 3 दिन में एक बार ।

 

 

टमाटर की फसल में दवाई का प्रयोग 

टमाटर की फसल में कीट और रोग से बचने के लिए कीट नाशक दवा का सही तरीका जानना 

जरुरी है सबसे पहले यह पहचाने कि फसल में किस प्रकार की बीमारी या कीट लगा है जैसे 

पत्ता लपेटक , झुलसा रोग , सफ़ेद मक्खी अदि जरुरत के अनुसार उपयुक्त कीटनाशक , 

फफूदनाशक या जैविक दवा का चयन करें । दवा का छिड़काव सामान्यतः हर 10 से 15 दिन में एक

बार छिड़काव करे यदि रोग , कीट ज्यादा है तो 7 दिन के अंतर पर करे ।

 

tamatar ki kheti  तैयार होने का समय 

टमाटर की फसल तैयार होने का समय कई बातों पर निर्भर करता है जैसे किस्म , मौसम और खेती ?

का तरीका देशी किस्में 90 से 100 दिन संकर हाइब्रिड किस्में 60 से 75 दिन , बीज बोने के 25 से 30 

दिन बाद पौधा रोपने के लिए तैयार होता है रोपाई के 20 से 30 दिन बाद फूल आने लगते है , फूल 

आने के 20 से 25 दिन बाद फल लगता है रोपाई के लगभग 60 से 70 दिन बाद तुड़ाई के लिए 

टमाटर तैयार हो जाता है ।

Tamatar ki kheti

टमाटर की फसल हल्के लाल , या अपनी किस्म के अनुसार रंग में बदलाव होने लगे तब तुड़ाई शुरू करे 

पूरी तरह लाल होने से पहले ही तुड़ाई करे , तुड़ाई सुबह या शाम को करे जब तापमान कम हो । 

 

 

 

 

 

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