Chukandar ki kheti

Chukandar  ki kheti एक जड़ी वाली सब्जी है , जिसे आमतौर पर सलाद , जूस अचार और ।

औषधीय , उपयोगों के लिए उगाया जाता है , यह शीतकालीन फसल है और पोषक तत्त्व से ,

भरपूर होती है भारत में Chukandar ki kheti मुख्यतः , हरियाणा , पंजाब , उत्तर प्रदेश , विहार

और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में की जाती है ?

Chukandar ki kheti

Chukandar ki kheti के लिए आवश्यक जलवायु व मिट्टी

चुकंदर की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है । 15c से 25c तापमान इसके ?

लिए सर्वोत्तम होता है मिट्टी दोमट या रेतीली , दोमट मिट्टी जिससे जल निकासी हो , उपयुक्त रहती है पी, एच

मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाइये ।

 

खेत की तैयारी , चुकंदर की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी जरुरी है ? भूमि का चयन ,चुकंदर ,

के लिए दोमट या रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है मिट्टी का ph , मान 6.0 से 7.5 के बीच होनी चाइये , खेत की जोताई

देशी हल या ट्रैक्टर  गहरी जोताई करें ताकि, मिट्टी भुरभुरी हो जाये इसके बाद 2 से 3 बार हैरो या कल्टीवेटर ?

 

से जुताई करें हर बार जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल करें मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा और समतल

बनाएं ताकि बीज आसानी से जमे , नमी बना के रखें ।

 

चुकंदर की बुवाई का समय

चुकंदर शरद  ऋतू की फसल है , इसलिए बुवाई का समय जलवायु और क्षेत्र के अनुसार भिन्न है , उत्तर भारत के लिए  ?

बुवाई का समय , अक्टूबर से नंवबर शरद ऋतू में यह समय सबसे उपयुक्त होता है क्योकि चुकंदर ठंडी जलवायु में

अच्छी तरह विकसित होती  है।

Chukandar ki kheti

 

पहाड़ी क्षेत्र बुवाई का समय मार्च से मई , यहां शर्दी देर से जाती है इसलिए गर्मियों में बुवाई की ?

जाती है , दक्षिण भारत में , बुवाई , अगस्त से फरवरी तक की जा सकती है क्योकि वहां की जलवायु

समशीतोष्ण होती है ,

 

बुवाई करते समय यह ध्यान रखें की बहुत  ठंड या पतला चुकंदर के अंकुरण और जड़ो की बृद्धि को

नुकसान पंहुचा सकता है , चुकंदर की अच्छी  पैदावार के लिए बुवाई की सही बिधि होना जरुरी है ।

खेत की 2 से 3 बार गहरी जोताई करें ताकि मिटटी भुरभुरी हो जाये आखिर जोताई के समय 15 से 20 टन

गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएं और खेत को समतल करे ,

 

बीज की तैयारी  

चुकंदर की बीज सख्त होती है इसलिए बीज को 12 से 24 घंटे पानी में भिगोकर बोनें से अंकुरण जल्दी ।

होता है , रोगों से बचाव के लिए बीज को फफूंदी रोधी दवा ( थायरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें ?

बुवाई की विधि , बीज की मात्रा 4 से 5 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर , गहराई बीज को 2 से 3 सेमी गहराई पर ,

बोयें लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी , बुवाई कतारों में करें ताकि

निराई गुड़ाई और सिंचाई में सुविधा हो ।

 

चुकंदर में सिंचाई 

चुकंदर की फसल में समय पर और सही मात्रा से सिंचाई बहुत जरुरी है क्योंकि यह जड़ वाली  फसल है ,

और जड़ो का विकास सीधे नमी पर निर्भर करता है , सिंचाई का सही समय और अंतराल ,1 पहली सिंचाई ।

बुवाई के तुरंत बाद अंकुरण  के लिए जरुरी है । 2 दूसरी सिंचाई 7 से 10 दिन के  बाद जब अंकुरण फूटने

लगें , 3 तीसरी सिंचाई बृद्धि काल हर 10 से 15 दिन में मिट्टी की नमी देखकर , कंद बनने की अवस्था ,

 

नियमित सिंचाई जरुरी है यह फसल का सबसे महत्वपूर्ण चरण है जल भराव से बचें नहीं तो जड़ सड़ सकती ?

है , गर्म मौसम में सिंचाई का अंतराल कम करें ।

 

चुकंदर की फसल में दवाई का प्रयोग 

चुकंदर की फसल में दवाई का प्रयोग मुख्य रूप से कीट नियत्रण , रोगों की रोक थाम , और फसल की सुरक्षा ।

के लिए किया जाता है , सही समय और सही दवा का प्रयोग करना भी जरुरी है , प्रारभिंक अवस्था 10 से 20 दिन ?

बाद कीट नियंत्रण , जैसे पत्तियों के चबाने बाले कीट दिखे , इमामेक्टिन बेंजोएट S% SG- 0.5 ग्राम प्रति लीटर

Chukandar ki kheti

पानी में मिलाकर छिड़काव करें अगर पत्तियों पर धब्बे दिखे , मैनकोजेब 75% WP -25 ग्राम प्रति लीटर पानी में ।

मिलाकर छिड़कें , 30 से 40 दिन बाद , जड़ों में गलन , या सड़न जैसी समस्या के लिए ट्राइकोडर्मा + कार्बेन्डाजिम ?

का प्रयोग सिंचाई के साथ करें , रोग या कीट की दोबारा बृद्धि होने पर 10 से 15 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव ,

करें किसी भी दवा का प्रयोग सुबह या शाम के समय करें छिड़काव के समय हवा कम हो ताकि दवा उड़कर

इधर उधर न जाये ।

 

चुकंदर की फसल तैयार होने का समय

चुकंदर की फसल आमतौर पर 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है , जब जड़ें पूरी तरह से विकसित हो जाये ?

5 से 10 सेमि व्यास , और पत्तियाँ पीली  होने लगें तो जड़ो को मिट्टी से सावधानी पूर्वक बाहर निकाले ताकि ,

टूट फूट न हो जड़ो को मिट्टी से साफ करें , ऊपर की पत्तियों को काट दें , लेकिन जड़ो को नुकसान ,

न पहुंचाए ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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