elaichi ki kheti जिसे मसालों की रानी भी कहा जाता है , एक नकदी फसल है । यह दुनिया भर में अपनी ।
सुगंधित और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है , इसकी खेती भारत के दक्षिणी राज्यों में की जाती है यहाँ इसके लिए विशेष
जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता होती है ।
इलायची की खेती के लिए कुछ आवश्यक
इलायची को गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद है , तापमान 10°c से 35°c के बीच का तापमान इसके लिए सबसे अच्छा होता
है । बहुत ज्यादा गर्मी या ठंडी इसके पौधों को नुकसान पहुँचा सकती है , वर्ष सालाना , 1500 से 4000 मिमी बारिश की
जरूर होती है , जो पूरे साल समान रूप से वितरित हो , छाया, इलायची के पौधों को सीधे सूर्य की रोशनी से बचाने के लिए
50 से 60% छाया की जरुरत होती है , इसलिए इसे अक्सर बड़े पेड़ों की छाया में उगाया जाता है , अच्छी जल निकासी वाली
लाल दोमट मिट्टी या काली दोमट मिट्टी सबसे उपुक्त है , लैटेराइट मिट्टी में भी खेती की जा सकती है , pH मान मिट्टी का 4.5
से 7.5 के बीच होना चाहिए , इससे पौधों को पोषण मिलता है ।
elaichi ki kheti का तरीका
बीज का चुनाव , स्वस्थ और अधिक उपज देने वाले पौधों से बीज एकत्र करें , बुवाई से पहले बीजों को 20 मिनट के लिए
सल्फ्यूरिक एसिड या हाइड्रोक्लोरिक एसिड से उपचारित किया जाता है , इसके बाद उन्हें अच्छी तरह से पानी से धोया जाता है ।
नर्सरी बेड़ , नर्सरी बेड़ को नमीयुक्त और छायादार रखना चाहिए , अंकुरण आमतौर पर बुवाई के एक महीने बाद शुरू होता है ,
यह तीन महीने तक चल सकता है । जब पौधे 3 से 4 पत्तियों वाले हो जाएं तो उन्हें दूसरी नर्सरी में रोपित किया जाता है ।
खेत की तैयारी
खेत को अच्छी तरह से जुताई करें , और पाटा चलाएं , इससे खेत समतल हो जाता है । जल निकासी , जल भराव से बचने के लिए
जल निकासी का सही तरीका होना चाहिए । पहाड़ी इलाकों में सीढ़ी दार खेती का उपयोग किया जा सकता है , गड्ढे खोदना , पहले
60 सेमी ×60 सेमी आकार के गड्ढे खोदें । इन्हें खाद और मिट्टी से भर दें ।
पौधों की रोपाई का समय , इलायची के पौधों को जून से जुलाई में रोपना सबसे अच्छा है । इस समय बारिश होती है । और मिट्टी में
नमी से भरी रहती है । दूरी , पौधों के बीच 1.5 से 2 मीटर की दूरी रखें । बड़ी इलायची के लिए यह दूरी 1.5 मीटर हो सकती है ।
छाया , खेत के चारों ओर बड़े पेड़ लगाएं या ग्रीन मैट का उपयोग करके छाया प्रदान करें ।
खाद और उर्वरक
जैविक खाद , रोपाई से पहले गड्ढों में गोबर या वर्मीकंपोस्ट डालें , यह फायदेमंद होता है । रासायनिक उर्वरक , प्रति हेक्टेयर 75 से
100 किलोग्राम , नाइट्रोजन 75 से 80 किलोग्राम , फास्फोरस , और 150 से 200 किलोग्राम पोटाश डालें , खेत में नमी होना चाहिए ,
सिंचाई
elaichi ki kheti को नियमित सिंचाई की जरुरत होती है , गर्मियों में हर 4 से 5 दिन में हल्की सिंचाई करें । जल निकासी , अधिक
बारिश होने पर जल निकासी का उचित प्रबंधन करें । फसल की देखभाल , खरपतवार नियंत्रण खेत से खरपतवारों को नियमित रूप
से हटा दें । पौधों को समय , समय पर छटाई करें , इससे पौधा सवस्थ और अच्छी वृद्धि करेगें ,
कीट और रोग , थ्रिप्स और फफूंद जैसे कीटों और रोगों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें ।
कटाई और उपज , इलायची के पौधे आमतौर पर 2 से 3 साल में फल देना शुरू कर देतें है , फल लगने के बाद
हर 15 से 25 दिनों में तुड़ाई की जाती है , एक पौधे से हर साल 100 से 120 ग्राम सूखी इलायची मिलती है ।
एक हेक्टेयर में 400 से 500 किलोग्राम सूखी इलायची का उत्पादन हो सकता है । इलायची के पौधों का औसत
जीवन काल , 7 से 10 वर्ष होता है ।