litchi ki kheti, लीची एक रसीला और स्वादिष्ट फल है , यह विटामिन सी और बी कॉम्प्लेक्स का अच्छा स्रोत है ,
भारत में खासकर बिहार में litchi ki kheti बड़े पैमानें पर की जाती है , लीची की अच्छी पैदावार के लिए सही ?
तरीके से खेती करना बहुत जरुरी है ।
Litchi ki kheti के लिए जलवायु और मिट्टी
जलवायु , लीची को उपोष्णकटिबंधीय जलवायु पसंद है , यह ठंडे मौसम में पाला और गर्मियों में अत्यधिक शुष्क ?
गर्मी सहन नहीं कर सकती । 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान या सर्दियों में शून्य से नीचे का तापमान पौधों
के लिए हानिकारक हो सकता है । फूल आने के समय 20 से 30°c के बीच गर्म तापमान और 70 से 90% उच्च ,
आर्द्र स्तर जरुरी है ।
मिट्टी , लीची भिविन्न प्रकार की मिट्टियों में उग सकती है । दोमट बुलई दोमट मिट्टी जिसके जल स्तर 2 से 3 मीटर
नीचे हो सबसे अच्छी मानी जाती है । मिट्टी उपजाऊ , गहरी और उत्तम जल निकासी वाली होनी चाहिए हल्की क्षारीय
pH 7.5 से 8 के बीच या उदासीन मिट्टी इसके लिए ज्यादा उपयुक्त होती है ।
लीची की खेती के प्रमुख किस्में
भारत में लीची की कई किस्में उगाई जाती है , इनमें से प्रमुख है । शाही लीची , यह किस्म वयवसायिक और अगेती है ।
इसके फल गोल गहरे लार रंग के होते है । ये अधिक गूदे वाले और स्वादिष्ट होते है , कलकतिया लीची यह किस्म देरी
से पकती है , इसके फल जुलाई में तैयार होतें है यह मीठी होती है और बड़े बीज वाली होती है । मुजफ्फरपुर , लीची ?
बिहार के मुजफ्फरपुर में उगाई जाने वाली यह किस्म नुकीले फलों के लिए प्रसिद्ध है इसके फल 22 से 25 ग्राम वजन
वाले होते है , चाइना , लीची , यह एक पछेती किस्म है , इसके फल गहरे लाल रंग के और मध्यम आकार के होते है ,
इसमें गूदे की मात्रा अधिक होती है ।
खेत की तैयारी
लीची बाग लगाने के लिए खेत को जुताई करें । अप्रैल की शुरुआत में करे , गड्ढे तैयार करना , मई के पहले या दूसरे सप्ताह
में 9×9 मीटर या 10×10 मीटर दूरी पर गड्ढें खोदें 15 दिनों तक खुला छोड़ दें । गड्ढों को भरना , पहले मिट्टी को दो भागों ?
में बाटें , ऊपरी भाग को अलग रखें । और नीचे का भाग भी अलग करें , इन गड्ढों में 20 से 25 किलोग्राम गली सड़ी रूड़ी की
खाद , गोबर की खाद डालें । इसके साथ 300 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 2 किलो ग्राम बानमील का मिश्रण भी मिलाएं ।
इसके अलावा 40 किलोग्राम सड़ी हुई खाद , 2 किलोग्राम नीम करंज खली 1 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 200 से 300,
ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश भी डालें , पुरानी लीची वृक्षों के जड़ क्षेत्र की लगभग 2 टोकरी मिट्टी मिलाने से माइकोराइज वृद्धि को ,
बढ़ावा मिलता है ।
पौधों की रोपाई
जैसे ही गड्ढे की मिट्टी स्थिर हो जाये जुलाई अगस्त या मानसून के तुरंत बाद , पौधा लगाएं , खुरपी की मदद से पिंडी के आकार की ?
जगह बनाएं पौधा लगानें के बाद , उसको आसपास की मिट्टी को सावधानी से दबाएं । इसके बाद पौधे के चारों ओर एक थाल बनाएं
और 2 से 3 बाल्टी पानी डालें ।
पौधों की देखभाल , नए पौधों को गर्मी में सप्ताह में , 2 बार और पुराने पौधों को सप्ताह में एक बार पानी दें । खाद डालनें के बाद सिंचाई
जरुरी है । कोहरे से बचनें के लिए नवंबर के अंत और दिसंबर के पहले सप्ताह में पानी दें । फूल लगने के समय सिंचाई न करें , लेकिन ,
फल बनने के समय सिंचाई बहुत जरुरी है ।
हावरोधक वृक्ष , नए पौधों को गर्म और ठंडी हवा से बचाने के लिए उनके आसपास 4 से 5 साल के हवा रोधक वृक्ष जैसे आम और जामुन ,
लगाएं , छटाई, मृत या रोग ग्रस्त शाखाओं को हटाने के लिए जनवरी में लीची के पेड़ों की छटाई की जाती है , कटाई के बाद हल्की छटाई
करेने से वृक्ष के विकास और फलन में सुधार होता है ,
खरपतवार , लीची के बाग में खरपतवारों को नियंत्रित रखें , लीची के पेड़ों के चारों तरफ मल्चिंग करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है , और ?
खरपतवारों की समस्या कम होती है ।
खाद और उर्वरक
लीची के पौधों को सही मात्रा में खाद और उर्वरक देना बहुत जरुरी है । शुरुआती वर्ष 2 से 3 वर्ष तक छोटे पौधों को कम मात्रा में खाद की
जरुरत होती है , फल लगने के बाद , अप्रैल में फलों का आकार बढ़ाने के लिए 450 से 500 ग्राम यूरिया और 250 से 300 ग्राम पोटाश प्रति
पौधे में डालना चाहिए खाद डालनें के बाद सिंचाई जरूर करें ।
पुराने पौधें , 10 वर्ष से अधिक , लगभग 1200 ग्राम नाइट्रोजन , 300 ग्राम फास्फोरस और 900 ग्राम पोटाश प्रति पौधा दिया जा सकता है ।
इसकी 75% मात्रा फसल तुड़ाई के बाद डालें और बाकी 25% अप्रैल में डालें । बोरॉन और जिंक, फलों की फटने की समस्या को कम करने
के लिए बोरॉन का छिड़काव , 4 ग्राम प्रति लीटर पानी , दो बार करें । फूल आने से 3 महीने पहले सिंचाई न करें । फूल आने के 30 दिन पहले ।
जिंक सल्फेड 2 किलोग्राम प्रति लीटर को घोल बनाकर पहला छिड़काव और 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करेने से फूल और फल अच्छे
आते है ।
फलों को झड़ने से रोकना , फल लगने के 7 से 10 दिनों के बाद प्लानोफिक्स एक मिली लीटर में 4.5 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव
करेने से फलों का झड़ना कम होता है । यह छिड़काव अगले 15 दिनों तक जारी रखना चाहिए ।
कीट और रोग , लीची के पौधों पर लीची फल मक्खी और लीची मियाई जैसे कीट और रोग हो सकते है । जनवरी में पेड़ों की जाँच
करें । अगर कोई रोग या कीट दिखे , तो तुरंत दवा लगाएं ।