Masur ki kheti
मसूर की खेती भारत में महत्वपूर्ण दलहन फसल है , इसे लाल मसूर भी कहा जाता है और यह प्रोटीन , फाइवर , और मिनरल्स का अच्छा ,
स्रोत है । समूर की खेती खासतौर पर उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में होती है , क्योकि यह ठंडे और सूखे मौसम में अच्छी तरह से उगती है ।
मसूर की खेती के लिए आवश्यक मौसम और जलवायु मसूर को उगानें के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है । यह 10 से 30 डिग्री सेल्सियम
के तापमान में अच्छी तरह से उगता है , मसूर की फसल के लिए हल्की जलवायु और सूखा मौसम उपुक्त होता है अत्यधिक वर्षा से फसल को
नुकसान हो सकता है
Masur ki kheti
जोताई और उबटन
मसूर की फसल के लिए भूमि को अच्छे से तैयार करना जरुरी होता है । खेत में 2 से 3 बार जुताई करके मृदा को बारीक़ और मुलायम करें इसके बाद ,
भूमि को समतल करें ताकि जल निकासी सही से हो सके खेत में बुवाई से पहले हल्का , उबटन भी करें ताकि मृदा ऑक्सीजन की अच्छी आपूर्ति हो ।
बुआई
मसूर की बुआई अक्टूबर से दिसंबर , के बीच की जाती है , जब मौसम टांडा हो बीज को 25 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बोया जाता है
बुआई के समय बीजों को अच्छे से चयनित कर स्वस्थ्य बीजों का उपयोग करना चाइए , बीज को बुआई से पहले रासायनिक , उपचार जैसे थायरम ,
यह कार्बोंडा जिम से उपचारित करना चाहिये ताकि बीजों में कोई रोग न हो बीज की दर लगभग 20 से 25 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है ।
लाइन से लाइन बुआई को समान्तर , लाइनों में करें लाइनों के बीच लगभग 18 से 20 की दूरी रखें , बीज की गहराई को 2 से 3 सेंटीमीटर
गहरा बोना चाहिए । masur ki kheti
खाद और उर्वरक
मसूर की खेती में मुख्या रूप से नाइट्रोजन और फास्फोरस की जरुरत होती है । प्रति एकड़ 20 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस
देना अच्छा होता है , जैविक खाद जैसे गोवर की खाद भी मसूर की खेती में उपयोगी होती है ,
सिंचाई
मसूर की फसल में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है , इसे केवल जरुरत के अनुसार हल्की सिंचाई की जाती है बुआई के बाद पहली सिंचाई,
15 से 20 दिन में की जाती है , फिर अगले 30 से 40 दिन में 1 से 2 बार सिंचाई पर्याप्त रहती है ।
फसल की देख भल
अगर फसल में फूल आ गए है तो ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा नमी , या वारिस से बचाव करें , क्योकि यह फसल कि गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है
अगर मौसम सूखा हो तो हल्की सिंचाई करतें रहें ।
Masur ki kheti
फसल कि कटाई
यदि फसल पूरी तरह से सूख गयी हो तो , कटाई की प्रक्रिया करें हाथ , से या , मशीन से फसल कटी जा सकती है । ध्यान रखें कि फसल को काटने ,
से पहले उसके दानों में नमी न हो ताकि दाने ठीक से निकल सकें और भंडार में कोई समस्या न हो ।
अनाज को अस्थाई रखना
मसूर के दानों को सूखा और ठंडे स्थान पर भंडार करें दानों को अच्छी तरह से एयर टाइट वोरियों या ड्रम में रखें ।
भंडार से पहले यह सुनिश्चित करें कि दानें पूरी तरह से सूखे हो ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे और वे खराब न हो ।
मसूर की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए भूमि की तैयारी , है समय पर बुआई , सिंचाई , कीट और रोग नियंत्रण और
कटाई की सही प्रक्रिया का पालन करना महत्तपूर्ण होता है , अगर इन सभी बिन्दुओं का सही से पालन किया जाये ,
तो मसूर की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त की जा सकता है ।