Methi ki kheti

Methi ki kheti एक लाभकारी और आसान खेती है जिसे कम लागत में की जाता है मेथी एक ,

बहुउपयोगी फसल है जिसका उपयोग सब्जी , दाना , मसाला और औषधीय  के रूप में उपयोग किया

जाता है ।

Methi ki kheti

मेथी की खेती की तैयारी

Methi ki kheti , अच्छी पैदावार के लिए खेती की तैयारी बहुत जरुरी होती है यदि खेत की तैयारी

सही तरीके से की जाए तो पौधा की वृद्धि अच्छी होती है और फसल समय पर अच्छी मिलती है ,

भूमि का चयन , मेथी की खेती के लिए दोमट , या बुलई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है ।

खेती में पानी की निकासी अच्छा होना चाहिए , भूमि का Ph मान 6 से 7.5 के बीच हो तो सबसे 

 

अच्छा रहता है , खेत की जुताई सबसे पहले खेत की गहरी जुताई देशी हल या ट्रैक्टर से करें जिससे ।

मिट्टी पलट जाये पाटा लेबलर जरूर चलाएं ताकि मिट्टी भुरभुर और समतल हो जाये । 

 

Methi ki kheti बुवाई  का समय

मेथी एक रबी सीजन की फसल है लेकिन इसे हरी पतियों के लिए साल भर भी उगाया जाता है , रबी की ।

फसल बीज के लिए बुवाई का समय अक्टूबर से नवंबर उत्तर भारत में इस समय बोई गई मेथी की फसल

90 से 100 दिन में दाना बीज देने के लिए तैयार हो जाती है , बुवाई का समय , सर्दी , अक्टूबर नवबर ।

गर्मी , फरवरी , मार्च , वर्षा जुलाई अगस्त , बुवाई का समय

Methi ki kheti

मेथी की फसल में कीटनाशक

मेथी की फसल में कीटनाशक , रोगनाशक दवाइयों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है , ताकि फसल रोगों और ?

कीटों से सुरक्षित रहे और अच्छी पैदावार मिले , कीट नियंत्रण  चेपा , एफिड ये पत्तियों का रस चूसते है जिसमें

पत्तियां पीली और मुरझाई हुई दिखती है ,

 

नियत्रण , इमिडाक्लोप्रिड 17.8% Sc – 0.5 मिली लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें नीम का तेल 1500 ,

PPM -5 मिली लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें ?

 

रोग नियत्रण , झुलसा रोग , पत्तियों पर भूरे या काले धब्बे बनते है जो धीरे , धीरे पूरे पौधे को प्रभावित करते है ।

निंयत्रण , मैंन्कोजेब  75%Wp -2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर हर 10 से 15 दिन में छिड़काव करें ।

जड़ सड़न , यह फफूंद जनित रोग है , जिससे पौधे मुरझा जाते है ,

 

नियंत्रण , बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम  2 ग्राम पति किलो बीज से उपचारित करें खेत में फफूंद नाशक ?

जैसे ट्राइकोडर्मा @2 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाएं , फसल की शुरुआत से पहले बीजों को फफूंदनाशक

जैसे थायरम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित करना चाहिए , इससे फसल कई रोगों से सुरक्षित रहती है ।

Methi ki kheti

Methi ki kheti में सिंचाई का समय

मेथी की खेती में सिंचाई का समय फसल की अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण होता है , पहली सिंचाई ।

बुवाई के 5 से 7 दिन बाद पहली हल्की सिंचाई करें इससे बीजों का अनुकरण अच्छा होता है , दूसरी सिंचाई ,

अंकुरण के 10 से 15 दिन बाद दूसरी सिंचाई करें , इससे पौधों की जड़ मजबूत होती है , अगली सिंचाई उसके बाद

 

हर 15 से 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें , लेकिन मिट्टी और मौसम के अनुसार सिंचाई करें , फूल और फल आने

के समय पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है फूल आने के समय अवश्य सिंचाई करें ताकि दाना अच्छा बन सके ,

कटाई से पहले , 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें ताकि फसल सूखी रहे और कटाई आसान रहे ।

 

मेथी की फसल तैयार होनें का समय

Methi ki kheti

Methi ki kheti तैयार होने का समय बुवाई के 90 से 110 दिन बाद फसल पक जाती है , जब मेथी की फली , फलियां ,

सूखकर हल्की पीली या भूरी हो जाये और बीज कठोर हो जाये तब कटाई करनी चाहिए , कटाई सुबह या शाम को करें

जब ओस हो या हल्की नमी हो ताकि फलियां झड़े नहीं , कटाई के बाद फसल को कुछ दिन धूप में सुखाएं बीजो को ,

अच्छी तरह से धूप में 3 से 4 दिन तक सुखाएं , बीज पूरी तरह सूखने पर ही  भंडारण करें ताकि ,

खराव न हो ।

 

 

 

 

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