Pudina kya hai, पुदीना एक लोकप्रिय जड़ी है जो अपने अनोखे स्वाद और स्वास्थ लाभों के लिए
मानी जाती है यह न केवल भिविन्न व्यंजनों में स्वाद जोड़ता है , बल्कि इसके औषधीय गुण भी इस
महत्वपूर्ण जड़ी बनाते है ।
पुदीना के कई प्रकार
pudina एक जड़ी बूटी है जो स्वास्थ लाभों में भरपूर है इसके विभिन्न प्रकार और पोषक तत्त्व होते है ।
पुदीना के औषधीय गुण इसे जड़ी बूटी बनाते है और यह मुख्य रूप से भोजन में स्वाद और खुसबू बढ़ाने
के लिए इस्तेमाल किया जाता है पुदीना का उपयोग आयुर्वेद और घरेलू उपचारों में भी बहुत प्राचीन समय
से किया जा रहा है
पुदीना की खेती Pudina kya hai
pudina ki kheti, भारत में कई हिस्सों में की जाती है खास कर उन क्षेत्रो में जहाँ जलवायु और मिट्टी इसके
अनकूल होती है या एक लाभदायक नकदी फसल मानी जाती है क्योकि इससे तेल में थाल भी निकाला जाता है ,
जिसका उपयोग दवाइयों कॉस्मेटिक, चुईन्गम, टूथ पेस्ट आदि में होता है ।
भारत में सबसे ज्यादा पुदीना की खेती उत्तर प्रदेश में होती है या राज्य देश का सबसे बड़ा पुदीना उत्पादन वाला
राज्य है उत्तर प्रदेश में पुदीना की खेती इन जिलों में होती है जैसे , बाराबंकी इसे पुदीना नगरी भी कहा जाता है
लखनऊ , हरदोई , सीतापुर , फ़ैजाबाद , अब अयोध्या , बहराइच , सुल्तानपुर , उन्नाव
पुदीना खेती की तैयारी
Pudina ki kheti की शुरुआत अच्छी तैयारी से होती है खेत की सही तैयारी करने से पौधों को अच्छी बढ़वार
होती है , और उत्पादन भी अधिक मिलता है खेत का चयन , ऐसा खेत चुने जिसमे पानी का जमाव न हो , दोमट
या बुलई दोमट मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ की मात्रा हो , सबसे उपयुक्त होती है खेत धूप वाला हो और उसमें ?
हवा का उचित संचार हो पुदीना के लिए मिट्टी का PH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए यदि मिट्टी अम्लीय , खट्टी
हो तो उसमें चूना मिलाया जा सकता है खेत की उर्वरता जाँच के लिए मिट्टी की जाँच करवा लेना लाभकारी ?
होता है , खेत को 2 से 3 बार गहरी जुताई करें पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें ताकि।
पुरानी घास , पात नस्ट हो जाए इसके बाद 2 से 3 बार देशी हल या रोटावेटर चलाए ताकि मिट्टी भुरभुरी
हो जाए जुताई के साथ ही खेत में सभी प्रकार की खरपतवार , पुराने पौधे और कचरे हटा दें खेत को
समतल और साफ करें , Pudina kya hai
पुदीना के रोपण और विधि
pudina की फसल खेती के लिए सही समय और रोपण की सही विधी का चुनाव बहुत जरुरी है इससे पौधे
की अच्छी वृद्धि होती है और उत्पादन भी ज्यादा मितला है पुदीना साल में दो बार उगाया जाता है बसंत ऋतू
गर्मी से पहले फरवरी , मार्च उत्तर भारत मैदानी क्षेत्र , वर्षा ऋतू के बाद अगस्त सितंबर जहाँ सिंचाई की ।
सुविधा हो ,
रोपण विधि , कतार की दूरी 45 से 60 सेमी पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेमी गहराई , जड़युक्त तनों को
4 से 5 सेमी गहराई में मिट्टी दवाइए, रोपण के तुरंत वाद हल्की सिंचाई करें , फिर 6 से 7 दिन के अंतर पर
नियमित सिंचाई करे मौसम के अनुसार उगने के 6 से 7 दिन वाद पौधे जमीन के ऊपर दिखने लगते है ,
खरपतवार को निकालते रहें जैविक या रासायनिक खाद का हल्का छिड़काव किया जा सकता है ।
पुदीना खेती रासायनिक उर्वरक
पुदीना की खेती में अच्छी पैदावार के लिए खाद और उर्वरक का सही तरीके से प्रयोग बहुत जरुरी है
रासायनिक , उर्वरक नाइट्रोजन , यूरिया 40 से 50 किलो ग्राम 3 बार दें फास्फोरस SSP 30 किलो ग्राम
रोपाई के समय , पोटास k 20 से 25 किलोग्राम , Pudina kya hai
नाइट्रोजन देने का समय , पहली खुराक , रोपाई के 15 दिन बाद (1/3) भाग दूसरी खुराक रोपाई के बाद
40 से 45 दिन बाद (1/3) भाग तीसरी खुराक कटाई से 15 दिन पहले (1/3) भाग यूरिया को पानी के साथ
मिलाकर छिड़काव करना बेहतर होता है । पुदीना की फसल तैयार होने का समय 90 से 120 दिन से
4 महीने का समय लगता है जलवायु और तापमान , गर्म और नमी वाली जलवायु में तेजी से बढ़ता है , उर्वरक
और प्रबंधन सही मात्रा में खाद और पानी मिलने से पौधा जल्दी तैयार होता है , कुछ प्रजातियां जल्दी तैयार होती है ।
80 से 90 दिन में कुछ को थोड़ा ज्यादा समय लगता है , जब पौधा 30 से 40 सेंटी मीटर ऊँचा हो जाये और उसमे
पूरी तरह से पत्तियां आ जाएँ तब कटाई करें , कटाई धरातल से 5 से 7 सेमी ऊपर से करें ।
ताकि फिर से बढ़ सकें , अच्छी देखभाल से 3 से 4 बार कटाई साल में की जा सकती है ,
पहली कटाई रोपराई के 3 महीना बाद बाकी हर 1.5 महीने पर ।