Sarso ki kheti एक तिलहन फसल है । जिसकी तिलहन फसल में महत्वपूर्ण भूमिका होती है । जो अपने भारत में की जाती है , और इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमाते है । सरसों की खेती करने का समय सितंबर से अक्टूबर महीने के बीच तक बुवाई की जाती है । sarso ki kheti करने के लिए किस तरह की भूमि जरुरत होती है , सरसों की खेती करने के लिए , रेतीली मिट्टी , टोमट मिट्टी , पीली टोमट मिट्टी , ऐसी मिट्टी के साथ सरसों की खेती कर सकते है । मृदा का PH 5. से 6.5 तक PH बैल्यु अगर रहती है तो अच्छा उत्पादन देखने को मिलता है ।
Sarso ki kheti के तौर तरीके
सरसों की खेती के लिए जल निकासी व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए । सरसों की खेती परंपरागत तरीके की तुलना पर होनी चाहिए । छोटी छोटी क्यारियों की मेढ़ या बेड बनाना बहुत ही जरुरी होती है । इससे पैदावार बहुत अच्छा होता है । यदि मृदा का PH बैल्यु 7.5 से 8 तक है । तो अच्छी उपजाऊ मिट्टी मानी जाती है । इससे सरसों के पौधों का विकास अच्छा होता है । सरसों की खेत की तैयारी करते समय 4 से 5 ट्राली गोबर की खाद और 50 किलोग्राम जिप्सम , जिप्सम में सल्फर की मात्रा अच्छी होती है । इससे मिट्टी की PH को अच्छा बनाता है । जिप्सम मिट्टी के PH में बहुत बड़ी भूमिका होती है । बुवाई के समय जो खेती की तैयारी की जाती है । खेती की तैयारी करते समय एक से दोबार , प्लाऊ , कल्टीबेटर से प्लाऊ करना , रोटावेटर से मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरी बनाना बहुत जरुरी होता है ।
मिट्टी जितना अच्छी भुरभुरी रहेगी , उतना ही अच्छा बीज का जमाव व अंकुरण अच्छा देखने को मिलेगा । जल निकासी की व्यवस्था उत्तम होनी चाहिए , बुवाई के समय खाद का प्रयोग । बुवाई करते समय , SSP ,सिंगल सुपरफ़ॉस्फ़ेट पाउडर फॉमवाली खाद आती है । इसे 100 किलोग्राम की मात्रा , इसमें फॉस्फोरस , कैल्सियम , सल्फर वोरॉन पोषक तत्व की मात्रा होती है । सल्फर सरसों में तेल की मात्रा उपज , फुटाव की संख्या बढ़ाने में बहुत अच्छी भमिका निभाती है । यदि इसके साथ DAP , 18.46 50 किलोग्राम उपयोग करते है । और भी बहुत बेस्ट होता है । MOP पोटाश 30 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते है।
सरसों की बैरायटी , pioneer 45s46 यह बैरायटी सबसे अच्छी होती है । इसका रेट एक हजार के लगभग होता है । दूसरी बैरायटी star 1015 इसकी कीमत 900 सौ के लगभग होती है । तीसरी बैरायटी ADV 414 इसकी कीमत एक हजार तक देखने को मिलती है । चौथी बैरायटी pioneer 45s42 ऐ सभी बैरायटी कॉफी अच्छी मानी जाती है । और अच्छा उत्पादन भी होता है । सरसों की खेती अच्छी तैयारी करते है । तो बहुत अच्छा उत्पादन होता है । अगर एक एकड़ में सरसों की बुवाई कर रहे है । एक किलोग्राम बीज की जरुरत पड़ती है । बुवाई करने से पहले बीज उपचार करना बहुत महत्वपूर्ण होता है । क्योकि बीज उपचार करने से बीजों का जमाव अंकुरण अच्छा होता है । बीज बोने से लेकर 45 दिन के अंदर फंगस , कीट से सुरक्षा मिलती है । बीज उपचार के लिए जो बेस्ट बीज उपचारक , basf xelora 1.5 2ml बीज का उपचार कर सकते है । इसके अलावा vibrance integral 1ml प्रति किलोग्राम बीज के साथ बीज उपचार कर सकते है ।
बुवाई विधी छिड़काव , विधी सीड ड्रिल , मल्टी सीडर इन सभी अलग अलग विधी से बुवाई कर सकते है । खेत में बैड की चौड़ाई 2 से 2.5 फिट चौड़ाई रख सकते है । लाइन से लाइन की दूरी 28 से 30 सेंटी मीटर , पौधे से पौधे की दूरी 5 से 6 सेंटी मीटर की दूरी पर बुवाई कर सकते है । गहराई 2 से 3 सेंटी मीटर के दूरी पर रख सकते है । इससे पौधे को अच्छा फुटाव और विकास होता है । और पैदावार भी अच्छी होती है । सरसों की सिंचाई , बुवाई के 20 से 25 दिन के बाद कर देनी चाहिए । इसके बाद फूल आने से पहले सिंचाई करनी चाहिए । टाइम से सिंचाई करने से पौधे का सेहत और स्वस्थ अच्छा रहता है । और पैदावार भी अच्छी होती है । जब सरसों में दाने भर रहें हो फलियां लग गई हो तब हल्की सिंचाई करनी चाहिए । सरसों की खेती में ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है । 2 से 3 पानी में सरसों की फसल पूरी तरह पक जाती है ।
सरसों की फसल में जो स्प्रे टाइम है , ऐ बहुत जरुरी है । सरसों की फसल में लगने वाले कीट बीमारियां प्रमुख्य है । एफिड्स माहू ऐ सरसों की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन कीट है । इसके अलावा पाउडर मयुडूल फंगस , लीफ स्पॉट फंगस , सेमीलूपर कीट , तना सड़न , पत्ती धब्बा रोग ऐ सभी बीमारियों का प्रकोप देखने को मिलता है । इन बीमारियों से बचाव के लिए , दो स्प्रे का उपयोग करे । पहले स्प्रे Syngenta actara 10gm दूसरा NPK 19.19.19 70 gm , m45 fungicide 40gm इन सभी को 15 लीटर पानी में अलग अलग घोल बना कर स्प्रे करना है । दूसरा स्प्रे जो है वो फूल निकलने के बाद जब फलियां लगने लगें , देख भाल करना बहुत जरुरी होता है । अगर कीट बीमारियों का लक्षण दिखाई दे रहा है , तो स्प्रे का उपयोग करना बहुत जरुरी है । सरसों की फसल में खाद की टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण है , बुवाई के 20 से 25 दिन के बाद बेंटोनाइट सल्फर 5 kg उपयोग करें इससे पौधे और पत्तियों का विकास अच्छा रहता है ,
सरसों की फसल तैयार होने में लगभग 120 दिन से 130 दिन में तैयार हो जाती है । कुछ बैरायटी जल्दी तैयारी हो जाती है , कुछ बैरायटी में थोड़ा ज्यादा समय लगता है । इसकी उपज लगभग प्रति एकड़ 12 क्विंटल से 15 क्विंटल तक होती है । इसमें लागत लगभग 18 हजार से 20 हजार आती है ।