simla mirch kheti एक लाभकारी सब्जी है , जिसे देश के कई राज्यों में वयवसायिक रूप से उगाई
जाती है , इसका उपयोग सब्जी , सलाद , और फास्ट , फ़ूड में खूब उपयोग किया जाता है ,
शिमला मिर्च की खेती
शिमला मिर्च खेत की तैयारी महत्वपूर्ण है , जिसे मुख्य रूप से ठंडी जलवायु में किया जाता है , इसकी अच्छी ।
पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी आवश्यक है , शिमला मिर्च की खेती के लिए हल्की दोमट या
बुलई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है , जिसमें कार्बनिक पदार्थ अच्छी मात्रा में हो ,पानी का
निकास भी बेहतर हो ,
simla mirch खेत की तैयारी
शिमला मिर्च खेत की मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 हल्का अम्लीय से उदासीन होना चाहिए , यदि मिट्टी का
पीएच स्तर सही नहीं है , तो उसे समायोजित करने के लिए आवश्यक उपाय करें , खेती शुरू करने से अपनी
मिट्टी का परीक्षण जरूरी करवाए , इससे आपको मिट्टी में पोषक तत्वों नाइट्रोजन , फास्फोरस पोटाश और
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता चलेगा और आप उसके अनुसार खाद और उर्वरक डाल पायेंगें ?
खेत की जुताई 2 से 3 बार गहरी जुताई करें , इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी और हवा का संचार बेहतर होगा ,
जुताई करने के बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें , ताकि मिट्टी को धूप मिल सके , इससे मिट्टी में
मौजूद हानिकारक कीट और रोगाणु कम होते है ।
जैविक खाद का उपयोग , अंतिम जोताई से पहले खेत में पर्याप्त मात्रा में सड़ी हुई गोवर की खाद , या कम्पोस्ट
खाद प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन डालें खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें , जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती
है , जल धारण क्षमता में सुधार करती है , और पौधों के विकास के लिए जरुरी पोषक तत्व प्रदान करती है ।
क्यारियाँ बनाना , शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई के लिए उठी हुई क्यारियाँ बेड बनाना सबसे अच्छा होता है , इससे
जल निकासी बेहतर होती है , और पौधों को उचित जगह मिलती है , सामान्यतः क्यारियों की चौड़ाई 90 सेंटी मीटर
होनी चाहिए , अगर आप ड्रिप सिंचाई का उपयोग कर रहे है , तो क्यारियाँ बनाने के बाद ड्रिप लाइन बिछाले ,
रासायनिक उर्वरक
मिट्टी परीक्षण के आधार पर , रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर सकते है , सामान्यतः प्रति एकड़ 40 किलो ग्राम ,
नाइट्रोजन , 20 किलो ग्राम फॉस्फोरस और 30 किलो पोटाश का उपयोग किया जाता है , नाइट्रोजन को दो भागों में
विभाजित कर सकते है , एक बार रोपाई के समय और दूसरी टॉप ड्रेसिंग के रूप में फसल बढ़ने पर , यदि मिट्टी में
सल्फर की कमी है , तो प्रति एकड़ 20 किलो ग्राम सल्फर दें सकते है ।
खरपतवार नियंत्रण , खेत तैयार करते समय और रोपाई से पहले खरपतवारों को पूरी तरह हटा दें , रासायनिक दवा
के रूप में फ्लूक्लोरेलिन बासालिन का छिड़काव कर खेत में मिला सकते है , जो खरपतवारों को नियंत्रित करने में
मदद करता है ।
नर्सरी की तैयारी
simla mirch kheti के लिए पौधा शाला , नर्सरी का बहुत महत्त्व है , क्योंकि इसके बीज महंगे होते है , प्रो ट्रे में पौधा तैयार करना
एक अच्छा तरीका है , इसके लिए वर्मी कुलाइट , परलाइट और कोकोपीट के मिश्रण का उपयोग करे , पौधा रोपण के बाद
30 से 35 दिन के पौधे उपयुक्त होते है , जिनकी लम्बाई लगभग 16 से 20 सेंटी मीटर और 4 से 6 पन्तियाँ होनी चाहिए ।
शिमला मिर्च रोपाई , सिमल मिर्च की खेती साल में तीन बार की जा सकती है , जो क्षेत्र और जलवायु पर निर्भर करता है ,
गर्मी , बरसात की फसल , नर्सरी में जून जुलाई में बीज बोया जाता है , और जुलाई अगस्त में खेत में रोपाई ,
की जाती है , शरद ऋतू की फसल , नर्सरी में अगस्त , सितंबर में बीज बोया जाता है , और सितंबर , अक्टूबर
में खेत में रोपाई की जाती है , बसंत ऋतू गर्मी की फसल , नर्सरी में नवंबर, दिसंबर में बीज बोया जाता है ,
और दिसंबर जनवरी में खेत में रोपाई की जाती है , पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई के लिए , मार्च , अप्रैल , का
महीना सर्वोत्तम होता है , ठंडी इलाकों में फरवरी , मार्च और गर्मी में अप्रैल , मई में भी बुवाई की जाती है ,
क्यारियाँ , 3x 1 मीटर आकर की क्यारियाँ बनाएं जो भूमि की सतह से 10 से 15 मीटर ऊपर उठी हो एक
हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 5 से 6 क्यारियाँ पर्याप्त होती है , प्रत्येक क्यारी में 2 से 3 टोकरी सड़ी ?
हुई गोवर की खाद मिलाएं ।
रोपाई के बाद शिमला मिर्च की देखभाल
सिंचाई , भूमि की दशा , मौसम और वर्षा की मात्रा पर निर्भर करता है , गर्मी मौसम में 4 से 6 दिन और ठंडे
मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल पर फसल में सिंचाई की जानी चाहिए , खरपतवारों को नियमित रूप से
निकालें , गुड़ाई और मिट्टी चढ़ाना पौधों की 2 से 3 बार करना आवश्यक है , 30 से 40 दिन के बाद ?
पौधों पर मिट्टी चढ़ाना चाहिए , खाद हर 20 दिन के अंतराल पर जैविक खाद जैसे , गोबर की खाद जरूर
डालें , प्राकृतिक , कीट नाशक , जैसे नीम तेल का छिड़काव करें ।
शिमला मिर्च तैयार होनें का समय और कटाई
simla mirch आमतौर पर रोपाई के 55 से 75 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है , यह किस्म और मौसम ,
पर निर्भर करता है , हरी simla mirch kheti यह आमतौर पर सबसे पहले तैयार होती है , रोपाई के लगभग 55 से
60 दिन बाद , लाल शिमला मिर्च यह सबसे देर से पकती है , लगभग 80 से 90 दिन बाद ,
कटाई का सही समय , फलों की कटाई तभी करना चाहिए जब वे पूरा आकार और रंग पकड़ ले , फलों को तोड़ने
का समय , एक बार जब फल तैयार होने लगें , तो हर 3 से 4 दिन अंतराल पर नियमित रूप से ,
तोड़ाई करतें रहे इससे पौधे पर नए फूल और फल आने का बढ़ाबा मिलता है और कुल उपज बढ़ती है ,
शिमला मिर्च का पौधा लगभग 2 से 3 महीना फल देता रहता है । तोड़ाई करते समय पौधों को नुकसान
न पहुँचाए फलों को खींचने से बचाएं क्योंकि इससे शाखाएं टूट सकती है ,